"गरिब होना गुना है तो हे खुदा
मुझे भि अमिर बना दे जरा
अपना पराई सब रुठे मुझ से
आज तो मेरि प्यार् भि रुठी है मुझ से
गरिबी होने के खातिर
हे खुदा चाए मुझ को इसि हाल मे छोड्दे
लेकिन उसे तो मना दे जरा"
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